गुड़िया
गुड़िया
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मेरे मैले कपड़े को ही देखा
दिल ना देखा जो तेरे लिए धड़कता है
बचपन मे इस भाई ने कितने डाँट तेरे लिए खाई है
मेरे साइकिल मे दुनिया समाती थी कभी
अभी मेरी दुनिया छोटी पर गई
चम चमाती तेरी दुनिया के आगे
बचपन मे धीरे चलते चलते तेज दौड़ती थी तू
अभी भी अँधेरे से डर लगता है
अभी भी रात को सोते सोते डर से झपट जाती तू
मेरी गुड़िया तू सच मे बहुत बड़ी हो गई है
सबकी कीमत तय करने लगी है
हम गरीब हैं पर दिल से दुआ करते है
रब तुझे सलामती दे खुश रखे !