गर्मियों में नदी का गीत
गर्मियों में नदी का गीत
जब से हुई हैं गर्म हवाएं
जब से हुई हैं बेशर्म फिजाएं
बूंदों से रिश्ता टूट गया है।
मेरा किनारा कहां है
उद्गम सितारा कहां है
समुंदर भी मुझसे रूठ गया है।
देखो जर्जर काया मेरी
बस रह गई छाया मेरी
वसनों का दामन भी छूट गया है।