गर्मी के दोहे
गर्मी के दोहे
तपे है धरातल तपे सब प्राणी, पाए कहांँ सुकून।
एसी कूलर में जमे पड़े सब, गली मोहल्ला सून।।
चमकते सूरज की तपन को, झेल सके ना कोए।
सन सनाकर लू चले है भयंकर, ऐसी तैसी होए।।
सूरज ऐसा उबल रहा, पल ना रुके पसीना धार।
पंखा एसी कूलर की, बाजारों में है लगी कतार।।
धूप निभा रही दुश्मनी, बाहर कैसे निकला जाए।
सीधी पड़े जो मुंँह पे किरणें, चेहरा झुलसा जाए।।
रंग बिरंगी टोपी चश्मा छाता, सड़क दिखे बहार।
बढ़ रहा ताप नितदिन, पशु पक्षी प्राणी लाचार।।
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कुल्फी आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक, मन सबके भाए।
कच्चा आम पुदीना शरबत, घर-घर खुशबू आए।।
खरबूजा तरबूज लीची आम, गर्मी में बड़ा लूभाए।
बेल शर्बत आमपन्ना शिकंजी, तरोताजा कर जाए।।
कोल्ड ड्रिंक्स गटागट ऐसे पिए, बसे उसी में जान।
हितकारी नहीं ये स्वास्थ्य को, समझे कहाँ नादान।।
लाभदायक होत पेय वही, जाको तासीर ठंडी होए।
तन मन की शीतलता इसमें, स्वास्थ्य भी ना खोए।।
मिर्च मसाला तेल कम, नित जो भोजन करे सरल।
ग्रीष्मकालीन ऋतु में भी सदैव, स्वस्थ रहे हर पल।।