गंतव्य
गंतव्य
समय बहुत बेदर्द था।
मौसम गर्म था, सर्द था।
खो गई थी मैं कहीं।
वो मेरी दुनियां थी नहीं।
करना था कुछ काम।
बनाना था अपना नाम।
पहुंचना था गंतव्य पर।
पर मन में भरा था डर।
आखिर थी संघर्ष की कहानी।
खतम हो गयी थीं बातें पुरानी।
आज मैं खुद से मिल पायी।
प्रशंसा मिली ,जो लिख पायी।
आज स्वयं से मिल पातीं हूं।
भावनाओं को उकेर पाती हूं।
गीत भी गाती हूं।
मैं मुस्कुराती हूं।