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Nilofar Farooqui Tauseef

Abstract Inspirational

4  

Nilofar Farooqui Tauseef

Abstract Inspirational

गंगा हूँ मैं

गंगा हूँ मैं

1 min
199


गंगा हूँ मैं, हाँ ! गंगा हूँ मैं।

शिव की जटा से जन्मी, थोड़ी चंचल हूँ मैं।

श्वेत रंग लिए, मन से उज्ज्वल हूँ मैं।


हे मानव, तेरे पाप को स्वंय में समाती हूँ।

मोक्ष प्राप्त हेतु, सब कुछ कर जाती हूँ।

जीवन के अंतिम यात्रा की आस हूँ।

कभी न बुझने वाली प्यास हूँ।


उफ़्फ़ ! फिर भी,

फिर भी तुमने क्या मेरा हाल किया।

हर पल-हर लम्हा पामाल किया।

नैना बरसते हैं,

आज की दुर्दशा देख मेरे नैना बरसते हैं।

किसे सुनाएं दर्द, कितना तड़पते हैं।


गर हो सके तो इतना उपकार करना।

हे मानव, हरियाली का तुम गुणगान करना।

हे मानव, परिंदों का तुम एहतराम करना।

हे मानव, प्रकृति का तुम सम्मान करना।

हे मानव, मानव का तुम उद्धार करना।


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