गम की आदत लग गई मुझे ...
गम की आदत लग गई मुझे ...
इतना ग़म झेला है मैंने की
गम की आदत लग गई मुझे
थोड़ी सी भी ख़ुशी मिल जाये
तो आँख में आंसू भर आती है
संभाले न संभला जाता मुझसे
अब ख़ुशी का ख्वाब ना दिखा ए मेरे दोस्त
थोड़ा सा और ग़म तू भी देता जा
सह जाऊंगी तेरा भी ये धोख़ा
गम की आदत जो लग गई मुझे ...
( धरित्री मल्लिक् )