गलती
गलती
गलती के लिए किसी को दोषी ठहराने से पहले
उस पर आरोप प्रत्यारोप करने से पहले
गर उसके गलती करने की वजह को ढूंढा जाए
अतीत मे जाकर उसके गलत होने की वजह को खोजा जाए
तो कोई भी व्यक्ति गलती के लिए दोषी नही पाया जाएगा
उसके गलत होने की वजह उसकी परिस्थितायो को माना जाएगा
भला कौन इंसान पैदा होते ही चोर बनना चाहेगा
कौन आंतकवादी बनकर बेकसूरो की जान लेना चाहेगा
यह तो परिस्थितियां ही है जो किसी को चोर तो किसी को सिपाही बनाती है
पर यह दुनिया भला कहा परिस्थितियो को जानना चाहती है
यह तो बस समाज की कचहरी मे उसे दोषी करार करके खुद को न्यायमुर्ती मानती है
गलती के पीछे छिपे परिस्थितियो के दोष को यह देखना ही नही चाहती है
मजबूरी मे व्यक्ति गलती करता है और सही मार्गदर्शन का अभाव उस गलती को उसकी गलती करने की लत बनाता है
गर जो देखा जाए किसी के गलत होने की वजह तो भला कौन गलत कर पाता है
क्यो न किसी के गलत होने की वजह को खोजा जाए
उसे कोई समझाए की इस गलती को न दोहराया जाए
तो शायद ही कोई गलती कर पाए...।