गजरा
गजरा
सुनो ....
बाँध दो तुम ,
मेरे केश में ....
तुम्हारे स्नेह का ,
गजरा ....
जिस की कली-कली में ,
सजी होगा ....
तुम्हारे एहसास की ,
सुंगधित सुरभि .....
इसके स्वेत रंग में होगी ,
शीतलता तुम्हारे ....
आलिंगन की ,
प्रेम और वैराग्य के ....
धागे से बंधी होगी ,
एक-दूजे के लिए ...
समर्पित होने की अभिलाषा ....!!