ग़ज़ल
ग़ज़ल


नसीहत दूसरों को दें बहुत आसान होता है।
बड़ा मुश्किल है चुप रह के आलोचना सुनना।
सुधर जाते हैं दुर्गुण बताते लोग जब हमको।
बुलंद आवाज कर्मों की शब्द से किसलिए कहना।
आम जब पक ही जाते हैं नहीं आवाज देते हैं ।
लोग आकर ले जाएं समझ कर के उन्हें गहना।
पहन रेशम और गहने भरम है कि लगें वो सुंदर।
बहुत सुंदर लगे हैं अपना सुंदर आचरण रहना।
कि अक्सर लोग जीते हैं खुद ही के वास्ते जग में।
बड़े बिरले हैं वो लोग जिन्हें औरों के लिए जीना।
कमाया जो यही रह जाएगा एक दिन तो जाना है
बताओ दोस्त किसी ने जेब बाला कफन है पहना।