गजल
गजल
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नक्शा कोई और बना ले,
जात, धरम के लेख हटा ले।
आंगन को महफूज रखेगी,
तुलसी का बिरवा लगवा ले।
प्रण प्राणों से प्यारा लगता,
फिर चाहे तो मौत बुला ले।
माटी की गौरव गाथा लिख,
बलिदानी परचम फहरा ले।
स्वार्थ ने जकड़े सब रिश्ते,
प्रेम की चाबी खोलो ताले।
खाली पॉकेट बूढ़ी काया,
देखे कौन पांव के छाले।
दौलत, शोहरत, रिश्ते, नाते,
जिनको मिलता किस्मत वाले।
औरों को मत ताक मुसाफिर,
आ, अपना घर बार संभालें।
जीना हो तो जी ले 'पूनम',
खुद को करके ईश हवाले।