गजल- इस पार या उस पार
गजल- इस पार या उस पार
जो चाहो वो मिल जाये ऐसा होता नहीं।
हार कर भी कोई लड़ता मगर रोता नहीं।
मिल जाती मंजिल यूं ही पा लेते सभी।
रखता यकीन हाथों मौका कोई खोता नहीं।
लगाना इल्जाम आसान होता गैरों पर।
झांक लेता खुद में परेशान होता नहीं।
गिर गए खा कर ठोकर तो फिर उठो।
पाकर लेता दम कोई मगर सोता नहीं।
आये आंधियाँ तूफान जितनी आने दो।
तुमसे बड़ा नहीं कोई मगर छोटा नहीं।
फैसला इस पार या उस पार होने दो।
हो हौसला बुलंद परेशां कोई होता नहीं।
डूबोगे या उबरोगे रखो यकीन कूद जाओ।
दम जिसके बाजुओं दरिया डुबोता नहीं।
आने दो डर को थोड़ा करीब आने दो।
गुजर जाता वक्त रंग अपने भिगोता नहीं।