गीतों की बस्ती का शहज़ादा
गीतों की बस्ती का शहज़ादा
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।
मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।
मैं गीतों की...
मेरी बांहों में संगीतों के सागर हैं लहराते।
पास मेरे सुख-दुख जब आते, गीत खुशी के ही गाते।
दर्दों में भी चीर निकालूं...
दर्दों में भी चीर निकालूं, खुशी की मैं झंकार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
दुख-तकलीफें हो या हो जीवन में तेरे अंधियारा।
पास मेरे आ जा प्यारे, तू छोड़ के सब मेरे यारा।
तेरे हर कष्टों का यारा...
तेरे हर कष्टों का यारा, कर दूँगा संहार ।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
सोचो जीने आए हो या आए हो तुम मरने।
आए थे कुछ करने और तुम लगे हो कुछ ही करने।
हँसी-खुशी और प्यार मोहब्बत...
हँसी-खुशी और प्यार मोहब्बत, है ये जीवन सार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
मैं गीत बनाता, गीत ही गाता और मैं करता प्यार।।
मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा, मैं राजकुमार।।
हूँ... हूँ.. हूँ...