गीत_फिर कब आओगे
गीत_फिर कब आओगे


फिर कब आओगे
कैसी अगन लगी है दिल में
तन्हा तन्हा से महफिल में
बन के बदली कब छाओगे
फिर कब आओगे
जब भी याद तेरी आती है जी भरकर रो लेते हैं
अश्कों से ही हम अपना चेहरा भी धो लेते हैैं
रुला के हमें क्या पाओगे
फिर कब आओगे
आँखे बन्द करें तो तेरा अक्स सामने पाते हैं
मिलकर भी जाना तुमसे हम तन्हा ही रह जाते हैं
और कितना सताओगे
फिर कब आओगे
ना रही आरजू जीने की, अब मौत की ख्वाहिश करते हैं
खुद से ही करते हैं बातें, छुप-छुप आहें भरते हैं
न जाने देव' कब सीने से लगाओगे
फिर कब आओगे-फिर कब आओगे।