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हरि शंकर गोयल

Romance Classics Fantasy

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हरि शंकर गोयल

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गीत : बरसात की रात

गीत : बरसात की रात

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बरसती हुई कायनात हो, घनी अंधेरी रात हो 

ऐसे में हम तुम दोनों साथ हों, तो कोई बात बने 

बादल से छम छम शराब बरसे 

अंग अंग से नशीला शबाब छलके 

इश्क का नशा चढ रहा हलके हलके 


मौसम का रंगीं अंदाज हो , होठों पे मीठे अल्फाज हों 

दिलों में धड़कता मुहब्बत का साज हो तो कोई बात बने 

दिल में सरगोशियां सी उठने लगी 


आज तू और भी हसीन लगने लगी 

आगोश में लेने को बांहें मचलने लगीं 

आज सारे बंधन टूटने दो , दो बदन सनम एक होने दो 

दुनिया के फासले अब खत्म होने दो , तो कोई बात बने 

आज की रात हमेशा याद रहेगी 


दुनिया कुछ ऐसी वैसी बात करेगी 

खामोशियां दिल के जज्बात कहेंगी 

कुदरत का हसीं करिश्मा है , दिल का अलग महकमा है 

तेरी अदालत में दिल का मुकदमा है, सुने तो कोई बात बने।


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