कर्मनिष्ठा और निरंतर प्रयास से उच्च शिखर पर बढ़ती रहो! कर्मनिष्ठा और निरंतर प्रयास से उच्च शिखर पर बढ़ती रहो!
कृत्रिम प्राण वायु की खातिर फिरता तू मारा - मारा I कृत्रिम प्राण वायु की खातिर फिरता तू मारा - मारा I
सूचित किया -- " स्थानाभाव के कारण, आपकी रचना का सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं , इसीलिए , ... सूचित किया -- " स्थानाभाव के कारण, आपकी रचना का सदुपयोग नहीं कर पा रहे...
उसकी चाहत से उसकी जरूरत मै बन गई. उसकी चाहत से उसकी जरूरत मै बन गई.
न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति। न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति।
मुक्तक...। मुक्तक...।