घर- घर का खेल
घर- घर का खेल
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बचपन के घर- घर का खेल
हमारी मनोरंजन की थी रेल
जिसमें कोई दुल्हन बनती
किसी को बनाते थे हम दुल्हा
घास -फूस की रोटी -सब्जी
जिसे पकाता लकड़ी का चूल्हा
नकली का वो खाना, खाना
नकली शादी में नाचना गाना
छोटी बातों में लड़ना -झगड़ना
फिर भी सब में रहता था मेल
बचपन का था, बचपन में ही रहा
जवान होकर जिस पर लग गयी नकेल
मेरे बचपन का
घर- घर का खेल
बचपन के घर- घर का खेल।