ग़ज़ल
ग़ज़ल
ख्वाब में आया कोई हवा की तरह
दर्द खुद लग रहा है दवा की तरह
हर बला से बचाता रहा है मुझे
प्यार उसका लगे हैं दुआ की तरह
रूठ जाता यहाँ यार मुझसे कभी
रूठना भी लगे हैं क़ज़ा की तरह
शायरी भी हमारी हुई कुछ युही
यार हमको लगे हैं खुदा की तरह
ज़ख्म अपने अभी ही सिलेगे धरम
लग रहे हैं अभी जो सज़ा की तरह।