Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

कवि धरम सिंह मालवीय

Romance

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
220


ख्वाब में आया कोई हवा की तरह

दर्द खुद लग रहा है दवा की तरह


हर बला से बचाता रहा है मुझे

प्यार उसका लगे हैं दुआ की तरह


रूठ जाता यहाँ यार मुझसे कभी

रूठना भी लगे हैं क़ज़ा की तरह


शायरी भी हमारी हुई कुछ युही

यार हमको लगे हैं खुदा की तरह


ज़ख्म अपने अभी ही सिलेगे धरम

लग रहे हैं अभी जो सज़ा की तरह।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance