"फ़साने हमारे"
"फ़साने हमारे"
अगर हम बेचैन है, तो
तुम्हें भी चैन कहाँ ...
अगर अधूरे हम है, तो
पूरे हुए हो तुम भी कहा...
तुम लाख दर्द दे दो, लेकिन तुम्हें
दर्द देना इतनी हमारी हिम्मत कहाँ ...
तुम दूर हो तो क्या हुआ,
तुम्हारे पास भी कौन है वहां...
अगर रह गई है, कहानी अधूरी हमारी,
तो पूरी हुई है, तुम्हारी भी कहाँ ...
अगर मिल गई हो, जमाने की सारी
खुशियाँ, लेकिन उनमें सुकून कहाँ ...
अगर जागती है आँखें मेरी, तो
सोती है रातें भी तुम्हारी कहाँ ...
अगर रह गई है ख्वाहिशें अधूरी हमारी,
तो पूरी हुई है तुम्हारी भी कहाँ ...