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Ajit Kumar Raut

Abstract

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Ajit Kumar Raut

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एक सूत्र में बंधना है हमें

एक सूत्र में बंधना है हमें

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एकत्रित भाव हो जीवन पथ में

समभाव हो कर्त्तव्य नित्य पथ में,

मित्रता परिचय हो संकट पथ मे

अपूर्णता पूर्ण हो सेवा धर्म पथ में।।१।


विपदा आये या संकट की घडी आये

बाधाएँ आये या भयावह काल आये,

कोरोना बीमारी आये यातनाएं आये

दुःखों पहाड़ टूटे या महाकाल आये।२।


एकत्रित रहना है कर्म पथ पर

विचलित नहीं होना धर्म पथ पर,

मित्रता परिचय कर्त्तव्य पथ पर

सफलता प्राप्ति एकता पथ पर।३।


कर्णवीर जैसा ही मित्र बनना है

विपद काल में साथ नहीं छोडना है,

सत्यपथगामी मंत्र अपनाना है

जनजन की सेवा नित्य करना है।४।


साथ कभी साथ हम नहीं ही छोडेंगे

देश प्रगति में हम.नित्य ही जुटेगें,

हर कठिनाइयों का सामना करेंगे

भयकंर घडी में साथसाथ रहेंगे।५।


एकत्रित भाव हो जीवन पथ में

समभाव हो कर्त्तव्य नित्य पथ में,

मित्रता परिचय हो संकट पथ में

अपूर्णता पूर्ण हो सेव धर्म पथ में।६।


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