एक सुबह सुहाना आई
एक सुबह सुहाना आई
एक सुबह सुहाना आया,
कुछ जाना पहचाना लाया,
बाड़ी के पुष्प सतरंगी,
तितली कंपित अतरंगी,
चारों ओर मँडराया,
एक सुबह सुहाना आया।
पंक्षी ने गाना गाया,
चुग के मैं दाना लाया,
चूजों ने मुख फैलाये,
माँ ने दाना खिलाया,
एक सुबह सुहाना आया।
फसलें खेतों की लहक उठीं,
मंद हवाओं में चहक उठीं,
पत्ते-पत्ते झूम उठे,
डगर-डगर कसुम उठे,
कृषक भूमि तक कूच लगाया,
एक सुबह सुहाना आया।
कदम हमारे निकल पड़े,
सब मंज़िल को चल पड़े,
जग जग को सम्पन्न बनाने,
थल जल पर परचम लहराने,
मनो चेतना पास बुलाया,
एक सुबह सुहाना आया।