Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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एक राज

एक राज

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जिंदगी ही एक राज है ,

समझ पाया वो सरताज है,

हर दिल में है एक राज छुपा,

हर महफिल में है लाज छुपा।


अनगिनत राज छुपा बैठे हैं ,

सत्ता के गलियारे में ,

हर राज जो सामने आ जाए ,

जाने कितने घर उजड़ जाए।


हर राजा का है एक राज छुपा,

जिसपर टिका है ताज उनका,

जो सब कुछ उजागर हो जाए ,

सबके सामने नंगे हो जाए।



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