एक परी
एक परी
काले नभ से उतरकर आई एक परी
जो थी प्यार से भरी
आखों में लेकर पानी
रोज़ सुबह आती थी वो सयानी
बातों को अपने होठों पर सजाए
केहना चाहती थी जो हम समझ ना पाए
झाँक कर आँखों में जो उसके देखा
फिर कभी में लोट न सका
कभी था में यूँ सोचता प्यार जो उस से हो जाए
रात ढले और सवेरा, छा जाए।