एक मुलाक़ात ऐसी हो
एक मुलाक़ात ऐसी हो
झील के किनारे हो,
थरमस भरी चाय हो,
दिल में उमंग लिए,
साथ वो हमारे हो।
ढलती हुई शाम हो,
तारों की बरसात हो,
हाथों में हाथ लिए,
प्यारी सी मुलाकात हो।
सपनों की बातें हो,
दिमागी खुराफातें हो,
साथी पुराने की,
राज भरी बातें हो।
खामोशी के साये हो,
दोस्ती के वादे हो,
बीते हुए जीवन की,
खट्टी मीठी यादें हो।
उनसे कभी मिलना हो,
साथ खिलखिलाना हो,
हवा से की उन दुआओं का,
रब का शुक्राना हो।
ख्वाहिशें हर पूरी हो,
ना कोई मजबूरी हो,
पल पल साथ निभाने में,
ना फिर कोई दूरी हो।
फिर एक मुलाक़ात ऐसी हो।