एक कागज के टुकड़े में
एक कागज के टुकड़े में
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यह कैसी भागमभाग मची है
यह कैसी चढ़ी परवान
एक कागज के टुकड़े में
सिमट गया इंसान
ना सुबह की ताजगी है
ना रात का आराम
एक कागज के टुकड़े में
सिमट गया इंसान
खत्म हो रहे रिश्ते सभी
है अब वह कुदरत से अनजान
एक कागज के टुकड़े में
सिमट गया इंसान
बचपन तेरे बच्चों की
अब बीत गया है
पर हाय बचपना से
तू रहा अनजान
यह कैसी माया की घेरें में
चल रहा इंसान।