एक जासूस की कहानी
एक जासूस की कहानी
वह पागल बना घूमता था,
जहां मिला वो खाता था ,
दिन रात राउंड लगाता था ,
पगला पगला कहलाता था,
कितनों से सुनता था गाली,
कितने मार जाते थे ,
बच्चे उसको पगला पगला ,
चिल्लाते थे, खूब शोर मचाते,
एक रात हुआ कमाल ,
पगला बन गया साहेब लाल ,
पकड़ा उसने ढेरों हथियार ,
आतंकवादियों के अड्डे किया
उसने तहस नहस ,
तब जाकर समझ में आया
अरे यह तो जासूस था ,
ये थी एक जासूस की कहानी।