एक दुआ
एक दुआ
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एक दुआ माँगी थी सिर झुकाकर उसके लिए
अपने हिस्से की जन्नत माँग ली उसके लिए
मिले उसके हर सफ़र को खुशनुमा मंज़िल
वो चल पड़ा है मुझको छोड़कर जिनके लिए
ना हो मायूसी उसके चेहरे पर ख्वाहिश है मेरी
ग़म में भी मुस्कराती रही मैं उम्र भर जिसके लिए
अपनी नई दुनिया में वो भूल जाएंगे मुझे एक दिन
मैं यादें समेट लूँगी आँचल में फिर भी इनके लिए
माँ होकर भी मुझे दर्जा भगवान का मिला है ‘वेद’
अब दुनिया में जिंदगी है मेरी बाकी किनके लिए