एक भारतवर्ष एसा भी हो
एक भारतवर्ष एसा भी हो
अनंत निष्ठा कि इस जग में
कहां कोई पराकाष्ठा होगी,,
ये भारतवर्ष है वीरों का हमारा, यहां
हर नृशंसता एक दिन नष्ट होगी,,
कोई तुम न कोई मैं यहां हर वर्ग समूह
और जात धर्म पुनः सर्व इक इष्ट होगी..
मंदिर और मदीना से उठ ऊपर यहां बस
भारतमाता की जयजयकार ध्वनि हर्ष होगी..