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Sangeeta Aggarwal

Inspirational

4.0  

Sangeeta Aggarwal

Inspirational

एक औरत की कलम से...

एक औरत की कलम से...

2 mins
288


मैने अपने बारे मे बात क्या की

तुमने मुझे बदतमीज कह दिया !

जरा खुद के लिए मैं क्या जी ली

तुमने मुझे चरित्रहीन समझ लिया !

जो थोड़ा आधुनिक हुई मैं

तो मुझे संस्कारहीन की संज्ञा मिली !


बहनजी का नाम मिला मुझे

जो खुद को मैने दुपट्टे से ढक लिया !

जो तुम्हारी बात का जवाब दिया

तो मेरे जन्मदाताओं पर ऊँगली उठी !

लापरवाह होने का नाम मिला मुझे

जो बात सुनकर भी चुप मैं रही।

ईश्वर ने जन्म दिया मुझे नारी के रूप में

तुमने मुझे कठपुतली समझ लिया।


जो तुम बोलो वो सुनुँ जो तुम चाहो वो कहूँ

इंसान नही तुमने मुझे बेजान गुड़िया समझ लिया।

हमारे घर वालों ने बाँधा इक बंधन मे हमें

तुमने तो मुझे खुद की जागीर समझ लिया।

मेरे पहनने ओढ़ने से ले मेरा खाना पीना तक

तुम्हारी पसंद के अनुसार ढल गया।


कभी हंसकर कभी रोकर कभी चुप होकर

मैने तुम्हारे अनुसार खुद को ढाल लिया।

इसका सिला ये मिला मुझे अंत मे

की बार बार मेरे स्वाभिमान को छलनी तुमने किया।

तुम्हारे मकान को घर बनाया मैने

तुम्हारे वंश की बेल बढ़ाने को मौत से साक्षात्कार किया।


तुम्हारे कहने से नौकरी छोड़ दी मैने

माँ बाप को तुम्हारे पूरा मान दिया।

पर ये बताओ इन सबके बावजूद

मुझे साथ तुम्हारे क्या ही मिला।

आज भी स्वाभिमान को मेरे तुम ठेस पहुँचाते हो

जब दोस्तों के आगे मुझे नीचा दिखाते हो।

पर अब बस अब और नही मुझे गिरना है

अब खुद के लिए भी थोड़ा जीना है ।

घर बच्चे भले सब है मेरी जिम्मेदारी

पर मुझे चाहिए इसमे थोड़ी तुम्हारी हिस्सेदारी।


मैं बनाती जब खाना तुम परोस तो सकते हो

शाम को आकर बच्चो को भी देख सकते हो।

माता पिता की दवाइयों का थोड़ा तुम भी ध्यान दो

मुझे तो पता अपनी जिम्मेदारी उसका ना ज्ञान दो।

अब खुद को भी तुम साबित करके दिखाओ

पति नही बने अच्छे बेटे और पिता तो बनके दिखाओ।


क्योकि अब मैं ना खुद को ओर गिराऊंगी

तुमसे ज्यादा काबिल ये साबित करके दिखाउंगी।

नौकरी करना ना करना ये मेरा अधिकार है

अपने अधिकार का हनन अब ना मैं कराऊँगी।

तुम करना सहयोग घर चलाने मे

और मैं साथ तुम्हारे कमाऊंगी।

अभी पढ़ी लिखी गँवार ना मैं कहलाऊंगी

अब मैं भी अपना एक मुकाम बनाऊंगी।


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