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Saumya Singh

Tragedy

3  

Saumya Singh

Tragedy

एक अस्तित्व ऐसा भी.....

एक अस्तित्व ऐसा भी.....

2 mins
291



अपने वजूद में ज़िन्दा,खुद को कहीं ढूंढ़ रही हूं मैं,


क्यों एक लड़की ,कोख में दफन और ज़िन्दा जलाई जाती है?

क्यों सुनसान सड़कों पर ,निर्भया बनाई जाती है?

समाज के तानो से मैं,हर पल जूझ रही हूँ...

अपने वजूद में ज़िन्दा....खुद को ढूंढ़ रही हूँ...


लड़की हो,लड़का नही,घर मे हँसो,

बाहर हँसना नहीं,

अरे ये दुनिया जीने ही कहाँ देती है,

बाहर तो छोड़ो, घर मे भी लड़कियाँ 

दबायी जा रहीं,

अरे लड़को के सौ गुनाह माफ करने वाले,

मेरी छोटी छोटी कमियों को..

टू मच कहने वाले...

तुम होते कौन हो हमे रोकने वाले,??

मैं ये करूँ, ये ना करूँ ,

अरे मैं क्यों डरु, किससे डरूँ?

ये भैया का काम है, तू घर पे रहना,

बड़ी हो गयी ,बाहर न निकलना ,

ये पहनो ये ना पहनो,

ये कर सकती हो, ये नही ,

शाम को मत निकलो बाहर.

दुनिया खराब है।।

दबके रहना,सहन करना सीखो ,

अपने हक जानते हुए भी

मुँह बन्द रखना,बस जो कहूँ वो ही करना,

बेटी हो ,बेटी जैसे रहना ,


अगर गलती मैने की ,तो फैसले लेने वाले,

तुम होते कौन हो?

हमपर अधिकार दिखाने वाले।।

हाँ आज इस समाज की छोटी संकीर्ण सोच 

ही है जो मैं आज आवाज उठा रही थी..

पर तुम होते कौन हो? मेरी आवाज बन्द करने वाले?

कपड़े पे पाबन्दी लगाने वालों,

मैने तो सुना है,बुर्के में भी लड़कियां सेफ नही..

अरे बेटा बड़ी हो गयी हो..... शाम को बाहर न जाओ

अरे मैने दिनदहाड़े भी लड़कियो को तड़पते देखा है


मेरी इतनी केयर करने वाले,

तुम होते कौन हो ?

तुम होते कौन हो,मेरे फैसले लेने वाले।।

उनकी बेटी ,उस लड़के से बात करती है.....

एंड आल........

क्या तुम्हे और कोई काम नही ?

क्या तुम ही हो जागरूक,हितैषी समाज वाले,?

अरे ऐसी सोच रखने वालों एक विनम्र निवेदन सुनो.......

लेडीज़ फर्स्ट का तमगा नहीं चाहिए,

लड़को से आगे बढ़के उन्हें दबाना नही हमें

अपितु हमे कदमो से कदम मिलाकर एक बराबर चलना है,


अब हम कितने उदाहरण लाएं?

हमसे  ही अस्तित्व तुम्हारा ।।

तो हमे ही अस्मिताहींन और अस्तित्वहीन करने वाले,

तुम होते कौन हो हमे रोकने वाले ?

किचन ही नही देश की रक्षा के लिए

हम राफेल तक उड़ा रहीं(शिवांगी सिंह)

अपने वजूद में ज़िन्दा,खुद को कहीं ढूंढ़ रही हूँ मैं।।



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