एहसास
एहसास


घायल हूँ मैं आधी ये सोचकर कि कि खुद को इंसान कहने वाले तुझे आघात का एहसास है क्या ,
बेजुबां जानवर तुझसे बेहतर है बिना कहे उसे एहसास है जजबातों का,
तू कितना बेेशरम होकर हंसता है दूसरों के घावों पर,
और फिर शर्मसार होता है दिखावे के लिऐ,
तुझसे बेहतर तो मूक रहने वाले पक्षियों को सलाम है,
जिसे मन के और जिसम के सारे दर्दो का एहसास है।
अब दिल्लगी छोड दी मैने इनसान से,क्यूंकि उम्मीद लगा ली है मैंने अब बेजुबां से।।