STORYMIRROR

Neha Gupta

Abstract

3  

Neha Gupta

Abstract

एहसास

एहसास

1 min
15

घायल हूँ मैं आधी ये सोचकर कि कि खुद को इंसान कहने वाले तुझे आघात का एहसास है क्या ,

बेजुबां जानवर तुझसे बेहतर है बिना कहे उसे एहसास है जजबातों का,


तू कितना बेेशरम होकर हंसता है दूसरों के घावों पर, 

और फिर शर्मसार होता है दिखावे के लिऐ,


तुझसे बेहतर तो मूक रहने वाले पक्षियों को सलाम है,

जिसे मन के और जिसम के सारे दर्दो का एहसास है।


अब दिल्लगी छोड दी मैने इनसान से,क्यूंकि उम्मीद लगा ली है मैंने अब बेजुबां से।।



Rate this content
Log in

More hindi poem from Neha Gupta

Similar hindi poem from Abstract