दुवाओं में है वो...........
दुवाओं में है वो...........
शामिल हर घड़ी मेरी दुवाओं में है वो
सुख-दुख का साथी बन के आशाओं में है वो
कभी मचलती कभी फिसलती भावनाओं में है वो
कभी बरसती कभी तरसती जीवन धाराओं में है वो
अंतर्मन में इठलाती कभी बहलाती घटाओं में है वो
मन-मस्तिष्क के अधिकारों की साधनाओं में है वो
हर पल मन को विचलित करती बाधाओं में है वो
मन मंदिर में सूकून से गुँजती फिजाओं में है वो
हर खूशी हर ग़म में शामिल हर अदाओं में है वो
महसूस होता हर जर्रे की आबो-हवाओं में है वो।