दूरियां के बाद मिलन
दूरियां के बाद मिलन
दूरियां
दूरियां
बढ़ाती नहीं
तड़पाती है
तरसाती है
रूलाती है
लेकिन
जब दूरियां
पूरी तरह से
घट जाती है
और वो
मिलन में
तब्दील हो
जाती है
तो वो
स्पर्श
वो छुवन
एक यादगार
यादें
असीम
सुख की
अनुभूति
कराती है
जो हर सुख से
सर्वोपरी
और अलग होता है।