दुश्मनी
दुश्मनी
इस जन्म की तो
नहीं
न जाने किस जन्म की
दुश्मनी निकाल रहा है
कानों का है कच्चा
दिल से है बच्चा
मन है डांवाडोल
सबको झटके देता हुआ
खुद भी गच्चे खा रहा
अभी दूसरों को
गड्ढे में धकेल रहा
कल खुद भी
जायेगा
दूसरों को दुख देकर
कभी खुद भी
सुख से नहीं रह पायेगा
मां बाप तो
होते हैं
इस धरती पर
ईश्वर का दूसरा रूप
उन्हें कलंकित किया
उनसे आशीर्वाद नहीं लिया
उनका सम्मान नहीं किया तो
दुनिया के
किसी भी कोने में
एक पल को भी
चैन नहीं पायेगा
जैसे मां बाप
तड़पे
अपनी औलाद के बिना
एक पानी से निकाली गई
मछली की तरह
ऐसी कमसमझ औलाद को
मंदिर के अहाते में भी
बिठाया तो
ईश्वर की स्नेह वर्षा से भी
वंचित रह जायेगा।