दुनिया मानती है...
दुनिया मानती है...
रातों की बेक़ली
भीतर की बेबसी
माज़ी का बार बार चले आना
तन्हाई मारे ताना
मग़र चहारदीवारी के पीछे
क्योंकि दुनिया मानती है कि
लड़के रोते नहीं..
रुलाती दर्दे दर्द की सदा
मुस्तक़बिल के लिए दुआ
एक वीरान जगह
जहाँ कोई नहीं पहुँचा
मग़र मुस्कुराहट के पीछे
क्योंकि दुनिया मानती है कि
लड़के रोते नहीं...
मज़बूत और कठोर जो
हो सकता है ग़लत हो
हर बुराई करने का हुनर
मग़र सच्चे प्यार का मुन्तज़िर
अपने ककून के अंदर
क्योंकि दुनिया मानती है कि
लड़के रोते नहीं...
दिल ही दिल मे रोना
इतने सारे "क्यूँ" का होना
मार देता है ठुकराना
मग़र महबूबा को न बताना
मग़र खुद्दारी का ज़ामा
क्योंकि दुनिया मानती है कि
लड़के रोते नहीं...