दस्तक
दस्तक
वह शजर कब सरसब्ज हुआ।
किसकी इनायत से तलातुम टला।
हम चल रहे थे जिस ओर।
हवाओं का बहाव उस ओर हुआ।
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धूप छाँव से तंग आने लगे।
हालात से हाथ मिलाने लगे।
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हर वक्त हमारे हालात यूँ रहे।
धूप छाँव से लोग हमसे मिलते रहे।
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तेरे इंतजार की इंतेहा की दस्तक हूं।
तेरे बुझते दीपक की लौ का जीवन हूं।