दर्द
दर्द
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जब बचपन से
दर्द मिला
जिसे किसी ने
न सिया
तो दर्द इतना
बढ़ गया कि
उसने कड़वाहट को
जन्म दिया
कड़वा किसी को
न भला लगा
सबको काँटो की
तरह ही चुभा
और खुद तो
जख़्मी था
अपने शब्दों के
बाणों से सबको
घायल किया