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Jyoti Naresh Bhavnani

Tragedy

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Jyoti Naresh Bhavnani

Tragedy

दर्द वही समझे

दर्द वही समझे

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दिल जिसका टूटे,

दर्द वही समझे,

और कोई भला,

इस दर्द को कैसे समझे।


चोट जिसको लगे,

ज़ख्म उसको दिखे,

और कोई भला,

इस ज़ख्म को कैसे समझे।


अपने जिसके छूटें,

सुकून उसका छूटे,

और कोई भला,

इस बेचैनी को कैसे समझे।


सपने जिसके टूटेंं,

सांसें उसकी रुकें,

और कोई भला,

इस घुटन को कैसे समझे।


अरमान जिसके लुटे,

अश्रु उस के बहें,

और कोई भला,

इन अश्रुओं को कैसे समझे।


सितम जिसपे ढहे,

आह उसकी निकले,

और कोई भला,

उस आह को कैसे समझे।


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