दर्द नहीं सुकून हूँ मैं
दर्द नहीं सुकून हूँ मैं
अग्नि हूँ मैं, ज्वाला हूँ
शीतलता की छावँ हूँ मैं
कुचलोगें गर मेरी अस्मिता
जो जलता अंगार हूँ मैं।
आग़ाज़ भी हूँ, अजांम भी मैं हूँ
नाद भी हूँ, अनहाद भी मैं
साधना और अराधना भी
इबादत हूँ, इनायत भी।
कारवाँ हूँ इस ज़हाँ का
बरसूँ तो घटा हूँ, प्यार की
बहूँ तो हूँ, चंचल सी हवा
रूकूँ तो सुकून हूँ
तेरे टूटे दिल का।
हूँ मुकम्मल सा ख़्वाब तेरा
हुस्न हूँ वफ़ा हूँ , नज़ाकत हूँ
महन्दी - कुमकुम हूँ
और श्रगांर भी हूँ।
हसँती हूँ ,बिखरती हूँ , सिमटती हूँ
नूर हूँ - तेरे तबस्सुम का
ममता बन मोम सी पिघलती हूँ
बन बेटी आँगन महकाती हूँ।
बहन बन चहकती हूँ ..
दर्द बाँटती नहीं, पी लेती हूँ
ईश्वर की अनुपम रचना
दर्द नहीं सुकून हूँ मैं,
मैं ईश्वर की अनुपम रचना नारी हूँ।