दर्द का अहसास !
दर्द का अहसास !
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रोज़ाना
कुछ लिखना,
अपनी बीती, जग बीती,
कुछ भी लिखना।
क़लम मेरी चलती है,
समय के आकाश पर,
समय को पकड़ने की चाह में,
लगाती दौड़,
समय के साथ-साथ,
पर बन्द मुट्ठी से रेत सा
फ़िसल जाता है वक़्त,
रह ही जाता है उकेरना,
क़लम को स्याही में डुबो कर,
दर्द के अहसास को,
दूसरों के दर्द से मिलाकर,
तुलना करते,
वक़्त के पन्नों पर।