दोहे
दोहे
सब जगह ढूंढा पापी पुकारा, कोई मिला पापी,
खुद को अंदर से देखा मुझसे बड़ा कोई पापी न होई
खुद को माना मुसाफ़िर कदम कदम बढ़ा ,
लोग भले ही बातें करे तू अपने दिल की सुन
सुनने सुनाने मैं दिन गये, यम आये द्वार,
चित्र गुप्त कर्म की किताब देखे,अच्छा कर्म दिखा
बढ़ गया तो क्या हुआ है जैसे नारियल पेड़,
पंछी को सहारा नहीं, फल है कोसों दूर
माला फेरते जीवन गया, तोय न हुआ ज्ञान
नियत अपनी खुद बदलें, प्रभु आएंगे द्वार
अच्छे बुरे दिन गये, प्रभु का किया न जाप
अब पछताना हो कैसा, जानवर चुग गये खेत
रात खोई दिन खोया, दिन गंवाया जाय,
पूँजी है अनमोल जन्म की, इंसान तू ऐसे न गंवाए
तन पे भगवे लिपटे, मन काला होई,
काग भले ही तन का काला, मन जिसका साफ होई
दोष पराये ढूँढे मैंने, दिल मंद मंद हसन्त,
खुदाई को तू पहले ज़ाखले जिसका है न कोई अंत
जो आया है इस दुनिया में, जाना है उसे एक दिन,
काम करो कुछ ऐसा, याद करे पूरी दुनिया
हिन्दू तूझे राम पुकारे, मुस्लिम पुकारे रहमान,
दोनो इस बात पे लड़ गये, कोई न जाना सच
गुरु ऐसा मिल जाये, ऐसा दे उपदेश
डुबती नैया को बचाये, हो जाये बेड़ा पार हमारा
सज्जन न छोडे साधुता, जो दृष्ट मिले संगत
धुपसड़ी खुशबू फेलावे, जो उसे पत्थर मारता
उसे भी फल देई
बिन खोजे कुछ न पाया, गहरे पानी देख
मैं बिचारी डर रही मौत नज़दीक देख
इंसान ऐसा होना चाहिए, जो जग में छाए,
वो रहे न रहे कर्म के गान जग गाए
एक एक शब्द अनमोल है, न करो उसे जाया,
तीर छूटा धनुष से मुँह से निकला शब्द वापस
न कभी आया
जात न पूछो जात सज्जन की, देखो उसके काम,
मोल है बहुत हीरे का, ये बात समझो अवाम
किताबों किताबों में बहुत पढ़ा , पंडित हुआ न कोई,
ढाई शब्द है प्रेम का ,जो समझा वो पंडित होई
जीवन है एक बुलबुला, ये समझ लो बात,
ये शरीर मिट्टी में मिल जायेगा सुन लो मेरी बात
रीमझीम-रीमझीम बारिश हुई, पत्थर पे बरसे मेह,
लोग, ज़मीन, गली भीग गई, पत्थर जैसा है वैसा होई
निंदा करने वाले से बनाये रखो नज़दीकी,
बिना साबुन पानी से निकालते है मन को दाग
हड्डी जले लकड़ी की तरह, बाल जले जैसे सूखे पान
एक दिन तेरा शरीर जल जायेगा, ये तू सुन ले ब्रह्मज्ञान
ओय मानव संभल जा, किस बात का तुझे गर्व,
यम ने तुझे पकड़ रखा है, तू घर में हो चाहे बाहर
जीवन एक दाखिला, समझ सका न कोई,
मन से परिचय न है किसी से देने आए उपदेश कोई
पानी का प्रेम तरु जाने, लकड़ी को क्या लाभ,
प्रेम का मोल प्रेमी जाने, कठोर क्या जाने प्रेम का लाभ
छोटी चींटी को न निन्दिये, पाँव मैं तर कुचली होय,
जब चींटी काट ले, तो पीड़ा गहरी होय
गुरु को सिर पे रख लो चलीये आज्ञा माहि,
दुनिया और मृत्यु का कोई भय नाही
ये घड़ी है, शुभ भक्ति ने जाय,
दिल प्रभु मैं लीन होतो यम दूर जाय
दुःख में सब भक्ति करे ,सुख में भजे न कोइ,
सुख में जो याद करे, दुःख की छाया दूर होई