दो पल की है ज़िंदगी
दो पल की है ज़िंदगी
दो पल की है ज़िंदगी
आज बचपन कल जवानी
परसों बुढापा
हो जाती है खत्म कहानी
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी
क्या मन मुटाओ
क्या गिले शिकवे
चलो हम ख़ुशी से बिताए
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी
चलो हँस कर जिएं
चलो खुल कर जिएं
फिर न आएगी यह रात सुहानी
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी
कौन है इस दुनिया में
जो नही करता बाहाना है
रखो विश्वास आगे बढ़ो
मत किसी पर इतना भरोसा करो
की जो बाद मे पछताओ
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी
जो करता है बाहाना
वोह काम कभी नही आते है
बस देते रहते हैं बहाने
मत सुनो उनकी
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी
खुश रहो मस्त रहो
अपना काम ज़म के करो
एक न एक दिन मेहनत रंग लाएगी
कभी न कभी
ऊपर वाला भी
किस्मत चमकाएगा
क्यूंकि दो पल की है ज़िंदगी।