दो मन दो जीवन
दो मन दो जीवन
दो मन दो जीवन सबके पास,
चुनाव करें जिसको जैसी प्यास।
एक वह जिसको ना कोई आस,
दूसरा साहसी जिसको विश्वास।।
उपवास संयम ज्ञान विज्ञान
जप तप कर्म साधन महान।
मन में हो भगवत भक्ति ध्यान,
तो अर्थ काम मोक्ष पाना आसान।।
त्याग के साथ भोग द्वन्ध नहीं है,
दोनों आपस में स्वछन्द नहीं है।
ऐसा जाने वह तमोन्ध नहीं है,
मुक्ति का पथ यह बन्ध नहीं है।।
चाँदनी की ताज़गी या शीतलता,
सब सुख वह मनुष्य है लेता।
जो दिन भर धूप में है थकता,
सार्थक कर्म कर खुश रहता।।
इसके विपरीत मतिमंद वो,
दिन भर रहे घर में बन्द जो।
रात चाँदनी में आकर बैठे तो,
आनन्द भ्रम शायद उन्हें भी हो।।
लेकिन शायद वो धस रहा है,
और किसी भ्रम में फँस रहा है।
कसौटी पर ना जो कस रहा है,
उस पर दुर्भाग्य हँस रहा है।।
साहस से भरा जीवन महान,
निडर रहे जिसे हो ऐसा ज्ञान।
उसको लक्ष्य पर अडिग जान,
साहसी मन की यही पहचान।।
साहसी सबसे अधिक पाते है,
जैसा दुख वैसा सुख भी पाते है।
उत्साहित रोशनी अपनाते है,
नित्य नये सफलताएँ पाते है।।