दो आँखें
दो आँखें
एक मासूम चेहरा
उस पर दो आँखें
जैसे कुछ कह रही हैं
हमेशा मुझे देखती हैं
जैसे कुछ पढ रही है
कई बार कोशिश की
उन्हें छुप छुप कर देखने की
उन्हें पढ़ने की
नहीं पढ़ पाया
ना कुछ समझ पाया
जितना समझा वो कुछ
ऐसा लगा जैसे उन्हें
तन्हाई पसंद नहीं
उन्हें भी किसी साथी की तलाश है
जो उन्हें निहारता रहे
पढ़ता रहे उन्हें
प्यार करता रहे उन्हें
जैसे वो कर रही हें
जब मिली दो आँखे
लगीं जब एक दूजे को निहारने
एक दूजे को पढ़ने
तब समझा प्यार को
जो बिना कुछ बोले
बिना कुछ कहे
इन आँखों ने पढ़ा
दिया एक सन्देश
इन आँखों ने एक दूजे को
नहीं कोई और बेहतर
तरीका दुनिया में
कुछ कहने कुछ बताने का
बिना कुछ कहे
बिना कुछ बोले
प्यार को पढ़ने पढ़ाने
समझने समझाने का
समझने समझाने का।