दलितों के मसीहा
दलितों के मसीहा
चौदह अप्रैल अठारह सौ इक्यावने मे नर तन पाया ।
पिता राम जी मां भीमा बाई ने अनुपम प्यार लुटाया।।
लाड प्यार मे बीती शिशुता वाल्यकाल मे फिर आए ।
भेदभाव लख विद्यालय मे वह सहन नही कर पाए ।।
उच्च निम्न के बीच उस समय पर गहरी थी खायी ।
भीमा ने प्रतिकार हेतु ली मन ही मन नीति बनाई ।।
शिक्षा ही वह अस्त्र हमे जो उच्च मान दिलवाए ।
यही सोच ले उत्तम शिक्षा ज्ञान मान निधि पाए।।
अपने जैसे शोषित पीडि़त की पीडा को मिटाया ।
संविधान मे नियम बनाकर उनका मान बढाया ।।
हिन्दू धर्म की नीति बुराई का जब भान हुआ था ।
बुद्ध शरण मे आकर के अमृत का पान किया था ।।
पद सम्मान मिला लेकिन शोषित को नही भुलाया ।
दीन ही की सेवा कर निज जीवन सफल बनाया ।।