दिल्ली चलो एक व्यंग्य
दिल्ली चलो एक व्यंग्य
दिल्ली चलो दिल्ली चलो,
कहते है सब लोग।
ट्रैफिक की मार झेलती
सिपाही की वर्दी बोलती,
पानी और बिजली के बदले,
गर्मी सहते है सब लोग।
प्रदूषण ने किया है दोषण
भूखे नंगे बच्चे कुपोषण।।
सब दिल्ली की जान,
लाल किला हो कुतुबमीनार
हाथो में हाथो लिए प्रेमी की भरमार।
एमसीडी के तेवर देखो,
आये दिन बदले सरकार,
मेरी दिल्ली मै ही सवारु
कहती है सरकार,
पढ़ लिखकर रोज कई
ब्यर्थ और बेकार।।
दिल्ली चलो दिल्ली चलो
कहते है सब लोग,
हाथो में मोबाइल लेकर
फैशन दिखाती लड़किया
मनचलो को उकसाने को
कपड़ो मे अनुसंधान करती लड़किया।।
दिल्ली का जीना क्या जीना है यारो,
चलना है तो मंसूरी चलो,
कुलु चलो मनाली चलो,
नही तो फिर हिमालय चलो।।