दिल मन ही मन चाहे उसको
दिल मन ही मन चाहे उसको
उसको मन ही मन चाहे दिल
पर कह ना यह मन पाता है
ख्वाबों से भी क्या कोई
ऐसे भी छल कर जाता है
ख़्वाब खड़ा हो चौखट पर
अधिकार जताना अच्छा है
दूर गया यदि ख़्वाब कहीं
फिर नींद का अपना दूजा है
उसको मन ही मन चाहे दिल
पर कह ना यह मन पाता है
ख्वाबों से भी क्या कोई
ऐसे भी छल कर जाता है
ख़्वाब खड़ा हो चौखट पर
अधिकार जताना अच्छा है
दूर गया यदि ख़्वाब कहीं
फिर नींद का अपना दूजा है