दिल में तूफान उढ़ रहा हो !
दिल में तूफान उढ़ रहा हो !
जब
तेरे
लाल सुर्ख
होंठ,
मेरे
बदन
को
चुमते
है,
कुछ
अजीब
सा,
महसूस
होता
हैं।
लगता
है,
ऐसे
जैंसे
दिल में
तूफान
उठ रहा
हो !
चाहकर
भी
कदम
रूक
नही
पाते,
बेचैंनीयां
बढ़ती
जाती
है,
मदहोश
हो
जाता
है
मन,
जुल्फ
के
घने
छांव में
शाम
गुजार
ले,
तुझमें
खुद को
उतार
ले,
पलक
ना
झपके,
तुझे
निहारू,
हो
एक
ही,
बस
मेरी
आखिरी
ख्वाइश,
विछडे़
ना
उससे
कभी !