दिल को समझाइए
दिल को समझाइए
खुद के साथ बैठिये दिल को समझाइए
इश्क़ की गली वीरान है उधर मत जाइए
ये दुनियाँ जख्म तो देती है दवा नहीं देती
आप अपने ज़ख्मों पर मरहम खुद लगाइए
वक़्त की मानिंद सब कुछ बदलता रहता है
वक़्त के सित्तम से इतना मत घबराइए
किसी की याद में खुद को भुलाना ठीक नहीं
जो आपको भुला दे आप उसे भूल जाइए
यूँ तो मेरा आपसे रिश्ता कुछ भी नहीं
पर कहूँगा आपसे की गम में भी मुस्कुराइए।