दिल की सच्ची बातें
दिल की सच्ची बातें
आओ सुनाऊँ आज कुछ अच्छी बातें
एक सीधे सादे से दिल की सच्ची बातें थी
एक जईफा़ बहुत नेक इबादत गुजा़र
अपने रब के लिये रहती थी वो बेक़रार
अफसोस बेटा बहू हुए दुनिया से रुख़सत
एक पोता ही रह गया उसके पास फ़क़त
वक़्त भी चल रहा था अपनी तेज़ रफ़्तार
उसका पोता भी हो गया अचानक बेकार
कराया बहुत इलाज उसने अपने पोते का
सम्भाले रखा दिल भी इसने अपने पोते का
जब जवाब उसे दे दिया वहाँ हर इक तबीब ने
बताया इक हकीम का पता उसे एक हबीब ने
पहुँचा हुआ हकीम था बहुत मशहूर था
मगर उस बूढ़ी की पहुँच से बहुत दूर था
बस दिन रात रो रोके दुआ किया करती थी
मेरा रब है उम्मीद मेरी यही दम भरती थी
भूला इक दिन राहगीर मंज़िल से वास्ता
फिर बूढी के घर का दिख गया उसे रास्ता
पहुँच गया उसके घर कहा मुसाफ़िर हूँ
भटक गया हूँ यहाँ इस जंगल में बेघर हूँ
वो नेक थी मुसाफिर को घर में बुला लिया
जो कुछ भी था घर में उसको खिला दिया
मुसाफिर बहुत ख़ुश और था अब बेफिकर
अचानक एक बच्चे पर पड़ी उसकी नजर
घर वो में बड़ा लाचार सा लेटा हुआ था
हल्की हल्की साँसें भी वो लेता हुआ था
उस मुसाफिर ने बेचैन होकर बूढी से पूछा
कौनसी तकलीफ़ में मुबतिला है ये बच्चा
पैर इसके बेकार हैं इक हकीम के तलबगार है
इक मशहूर हकीम ज़ुहैर ही इसका मददगार है
मैं गरीब उसके इलाज की ताब नहीं रखती
उसके नाम पते की भी कोई बात नहीं रखती
बस दिन रात रब से ही फ़रियाद करती हूँ
तू ही मंज़िल तक पहुँचाएगा यही कहती हूँ
सुन के अपना नाम वो मुसाफिर चौंक गया
बात उस बूढी की सुन वो बहुत हौल गया
बोला वो मुसाफिर आँखों में आँसू भरकर
मंज़िल आ गयी तेरे घर ज़रा देख मुड़कर
भुला के मुझे रास्ता तेरी मंज़िल बनाया मुझे
देख तेरे रब ने कैसे हकीम से मिलाया तुझे
मान गया आज मैं वो बहुत बड़ा कारसाज़ है
उसके हर एक काम में भले की ही बात है
बेफिक्र हो जा कि पोता तेरा ठीक हो जायेगा
जल्दी ही अपने पैरों से चलके तेरे पास आयेगा
यकीन ने आज अपने रब का करम देख लिया
मंज़िल ने ख़ुद आकर उसका पता पूछ लिया।