दिल की बात
दिल की बात
अकेले खडे होकर प्रेम के पेड़ के नीचे
अपनी दुख भरी कहानी कहता
प्रेम किया मैंने और
वह छोड़ चली बीच मझधार में।
कभी न सोचा था मैने
वह ऐसा कुछ कर जाएगी
छोड़ के मुझको
ऐसे मुँह फेर चली जाएगी।
खता क्या थी मेरी
वो भी मुझे बता देती
तब चैन पड जाता सीने को
जान बात जो हो जाती।
अचानक दुनिया मेरी उजाड दोगे
और चुप होकर दर्द देकर
यूँ ही प्यार को सताओगे।
सच कहता हू जो बिन बताये चले गए
बहुत पछताओगे बहुत पछताओगे।
अकेले खड़े होकर प्रेम के पेड़ के नीचे
अपनी दुख भरी कहानी कहता।